Monday, September 8, 2008

प्रथ्वीराज चौहान


मान और सम्मान देष का हम से वतन की आन और शान



हम पृथ्वी पर राज करेंगे पृथ्वीराज की हम संतान--



हम चौहान! हम चौहान !!



किसी को मान है एक ओर का, किसी को दो या तीन का मान



हमें मान चहुँ ओर का मिला, तब कहलाये हम चौहान !



हम चौहान! हम चौहान !!



मूल वास अहिछत्रपुरी और वासुदेव की हम संतान



सकल मही के चप्पे-चप्पे पर चस्पां अपना बलिदान



हम चौहान ! हम चौहान !!



निर्भयता, वीरता, त्याग और खुद्दारी अपनी पहचान



बच्चा-बच्चा देष के लिए खडा हथेली पर ले जान



हम चौहान ! हम चौहान !!



पृथ्वी ने था लाल लहू से लिखा एक इतिहास महान



है संकल्प रचेंगे हम भी नये दौर का नया विधान



हम चौहान ! हम चौहान !!



आओ यह संकल्प करें हम सभी रुढियाँ तोडेंगे



काले घडे कुसंस्काराें के हम षिक्षा से फोडेंगे



आपस के सब भेद मिटा सारे समाज को जोडेंगे



दारु-भांग-अफीम-जुआ-सिगरेट नषे सब छोडेंगे



बेटे के संग बेटी को भी हम जरुर पढवायेंगे



नहीं करेंगे बाल विवाह, विधवा विवाह करवायेंगे



मेहनत और ईमान की ध्वजा हम घर-घर फहरायेंगे



हम विकास और ज्ञान की पावन गंगा यहां बहायेंगे



चमत्कार हम दिखलायेंगे, देखेगा हो चकित जहान



दृढ निष्चय के वीरप्रती हम, दृढप्रतिज्ञ हिमश्रृंग सामान




हम चौहान ! हम चौहान !!