मान और सम्मान देष का हम से वतन की आन और शान
हम पृथ्वी पर राज करेंगे पृथ्वीराज की हम संतान--
हम चौहान! हम चौहान !!
किसी को मान है एक ओर का, किसी को दो या तीन का मान
हमें मान चहुँ ओर का मिला, तब कहलाये हम चौहान !
हम चौहान! हम चौहान !!
मूल वास अहिछत्रपुरी और वासुदेव की हम संतान
सकल मही के चप्पे-चप्पे पर चस्पां अपना बलिदान
हम चौहान ! हम चौहान !!
निर्भयता, वीरता, त्याग और खुद्दारी अपनी पहचान
बच्चा-बच्चा देष के लिए खडा हथेली पर ले जान
हम चौहान ! हम चौहान !!
पृथ्वी ने था लाल लहू से लिखा एक इतिहास महान
है संकल्प रचेंगे हम भी नये दौर का नया विधान
हम चौहान ! हम चौहान !!
आओ यह संकल्प करें हम सभी रुढियाँ तोडेंगे
काले घडे कुसंस्काराें के हम षिक्षा से फोडेंगे
आपस के सब भेद मिटा सारे समाज को जोडेंगे
दारु-भांग-अफीम-जुआ-सिगरेट नषे सब छोडेंगे
बेटे के संग बेटी को भी हम जरुर पढवायेंगे
नहीं करेंगे बाल विवाह, विधवा विवाह करवायेंगे
मेहनत और ईमान की ध्वजा हम घर-घर फहरायेंगे
हम विकास और ज्ञान की पावन गंगा यहां बहायेंगे
चमत्कार हम दिखलायेंगे, देखेगा हो चकित जहान
दृढ निष्चय के वीरप्रती हम, दृढप्रतिज्ञ हिमश्रृंग सामान
हम चौहान ! हम चौहान !!